हर हसरत अगर पूरी हो जाये तो ,ये जिंदगी ही क्या...
वक्त काटने का एक जरिया तो ये नाकाम हसरतें ही हैं...
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साँपों के मुक़द्दर में अब वो ज़हर कहाँ ?
जो इन्सान आजकल बातों में उगल देते हैं !
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खुद को पढता हूँ, फिर छोड़ देता हूँ,
रोज़ ज़िन्दगी का एक पन्ना मोड़ देता हूँ…
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तुम ये मत समझना के मुझे कोई और नहीं चाहता,
मौत तो तुमसे पहेले ही हमसफ़र बन बैठी है..
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क्यूँ एक दिल को दूसरे दिल की खबर न हो ।
वो दर्द-ए-इश्क ही क्या जो इधर हो, उधर न हो ।।
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तुझे देख कर मेरे शहर के पत्थर भी पिघल जाते है
यू नज़रो से कत्ल करने के तरीके बस तुम्है आते है
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तेरी मुस्कराहट तेरे रूप की पहचान है,
तेरे दिल की धड़कन में दिल की जान है,
ना सुनूं जिस दिन तेरी बातें,
लगता है उस रोज़ ये जिस्म बेजान है।
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जी चुका उनके लिए जो मेरे लिए सब् कुछ थे
अब जीना है उनके लिए जिनके लिए मैं सब् कुछ हूं।।
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ऐ खुदा उसे मेरा कर दे या फिर मोहब्बत का जख्म भर दे
मुझे समझ नही आती तेरी खुदाई बस मेरा इश्क अमर कर दे
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अजनबी शहर के अजनबी रास्ते मेरी तन्हाई पर मुस्कुराते रहे;
मैं बहुत देर तक यूँ ही चलता रहा, तुम बहुत देर तक याद आते रहे।
कल कुछ ऐसा हुआ मैं बहुत थक गया, इसलिये सुन के भी अनसुनी कर गया;
कितनी यादों के भटके हुए कारवाँ मेरे जेहन के दर खटखटाते रहे!
जहर मिलता रहा जहर पीते रहे, रोज मरते रहे रोज जीते रहे;
जिंदगी भी हमें आजमाती रही और हम भी उसे आजमाते रहे
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