"धीरे धीरे उम्र कट जाती हैं!
"जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है!
"कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है!
"और कभी यादों के सहारे जिंदगी
कट जाती है!
"किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते!
"फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते!
"जी लो इन पलों को हंस के दोस्त!
"फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं
आते!! 💐🌻
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Monday, February 22, 2016
फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं आते!!
Sunday, February 21, 2016
जुड़े तो "पूजा" खुले तो "दुआ" कहलाती हैं।.
"मुझे तैरने दे या फिर बहना सिखा दे,
अपनी रजा में अब तू रहना सिखा दे,
मुझे शिकवा ना हो कभी भी किसी से,
हे ईश्वर....!
मुझे सुख और दुख के पार जीना सिखा दे।
"मेरा मजहब तो ये दो हथेलियाँ बताती है.. .
जुड़े तो "पूजा"
खुले तो "दुआ"
कहलाती हैं।.....
Wednesday, February 17, 2016
अच्छा लगता हे तेरा प्यार से समझना..
मेरी गलती करने की आदत नहीं, फिर भी करता हु,
क्योकी अच्छा लगता हे तेरा प्यार से समझना..
तुम फूल की जगह होते..
लगा कर फूल होटों से उसने कहा चुपके से,
अगर कोई पास न, होता तो तुम फूल की जगह होते..
खुदा जाने तुम में वफ़ा होती तो क्या होता
तुम बेवफा हो के भी….कितने अच्छे लगते हो
.
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.खुदा जाने तुम में वफ़ा होती तो क्या होता
मैं उसे "पसंद" करता हूँ बस इसी बात का उसे "गुरूर" है
मेरे सारे "कसूरों" पर भारी मेरा एक "कसूर" है .
मैं उसे "पसंद" करता हूँ बस इसी बात का उसे "गुरूर" है
अपने सुकून की खातिर, तुझे रुला नहीं सकता|
मत सोच कि मैं तुझे भुला नहीं सकता, तेरी यादों के पन्ने मैं जला नहीं सकता, कश्मकश ये है कि खुद को मारना होगा, और अपने सुकून की खातिर, तुझे रुला नहीं सकता|
ज़ख्मो को मेरे जब तेरे शहर की हवा लगती है।
बिछड़ के तुम से ज़िन्दगी सज़ा लगती है; यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है; तड़प उठता हूँ दर्द के मारे मैं; ज़ख्मो को मेरे जब तेरे शहर की हवा लगती है।
मैं उनकी दुहाई पे नहीं लिखता…..!!
उनको ये शिकायत है कि मैं बेवफाई पे नहीं लिखता, और मैं सोचता हूं कि मैं उनकी रुसवाई पे नहीं लिखता..
ख़ुद अपने से ज्यादा बुरा जमाने में कौन है?
मैं इसलिए औरों की बुराई पे नहीं लिखता..
कुछ तो आदत से मजबूर हैं और कुछ फितरतों की पसंद है जख्म कितने भी गहरे हों,
मैं उनकी दुहाई पे नहीं लिखता…..!!
आज भी मेरे फोन का लोक तेरे नाम से खूलता है !!
तुम शायद अब मुझे भूल गई होगी !
पर आज भी मेरे फोन का लोक तेरे नाम से खूलता है !!
ना हम उनको भुला सके.
"ना वोह आ सके ना हम कभी जा सके,
ना दर्द दिल का किसी को सुना सके.
बस बैठे है यादों में उनकी,
ना उन्होंने याद किया और ना हम उनको भुला सके."
Saturday, February 13, 2016
मेरी आँखों में जाने मन सिर्फ तुम नज़र आओगे!
लफ़्ज़ों में क्या तारीफ़ करूँ आपकी;
आप लफ़्ज़ों में कैसे समा पाओगे;
जब लोग हमारे प्यार के बारे में पूछेंगे;
मेरी आँखों में जाने मन सिर्फ तुम नज़र आओगे!
Thursday, February 4, 2016
जिनके घर दरिया किनारे हैं...
कही पर गम,तो कही पर सरगम,
ये सारे कुदरत के नज़ारे हैं...
प्यासे तो वो भी रह जाते हैं,
जिनके घर दरिया किनारे हैं...
जिनकी "यादें" हर पल आती है .. !
कितने दूर होते हैं वो लोग ,..
जिनकी याद कभी कभी आती है ,
वो भला कैसे हो सकते हैं दूर ..
जिनकी "यादें" हर पल आती है .. !
पढ़ने वाला भी तेरा दीवाना ना हो जाए।
सोचता हु हर कागज पे तेरी तारीफ करु,
फिर खयाल आया कहीँ पढ़ने वाला भी तेरा दीवाना ना हो जाए।